हरि वंदना

हे हरि
वर दे
क्रोध शांत कर दे
काम वासना हर ले
लोभ मोह मत दे
अहंकार दूर कर दे।
हे हरि
वर दे
आलस्य नहीं ,मेहनत दे
कायरता नहीं ,साहस दे
दरिद्ता नहीं ,सम्पन्नता दे
वैर नहीं ,प्यार दे।
हे हरि
वर दे
हार नहीं ,जीत दे
गम नहीं ,ख़ुशी दे
बेईमानी नहीं, ईमानदारी दे
भ्रष्टाचार नहीं,सदाचार दे।
हे हरि
वर दे
अडिग रहूँ,झुकूं नहीं
अटल रहूँ,टल्लू नहीं
निडर रहूँ,भयभीत नहीं
योग्य रहूँ ,अयोग्य नहीं।
हे हरि
वर दे
दोस्त हो न हो ,दुश्मन न हो
लेना हो न हो ,कर्ज न हो
स्वस्थ रहे ,मर्ज न हो।
किसी का भी भय न हो
हे हरि
वर दे
तेरा तुझे अर्पण कर दूँ
क्लेष कष्ट नष्ट कर दूँ
समाज संस्कारित कर दूँ
जीवन सुफल कर लूँ।
हे हरि
वर दे।

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